भौतिकी पाठ्यक्रम निर्माण की नफील्ड भौतिकी परियोजना का वर्णन कीजिये।
– विद्यार्थियों में आपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तन लाने हेतु उचित पाठयक्रम का होना जरूरी है। पाठ्यक्रम का निर्माण करते समय यह जरूरी है कि पाठ्यक्रम हमारे उद्देश्यों की (जो हमेशा समय के साथ परिवर्तित होते रहते हैं) पूर्ति कर सके।
ब्रिटेन में नवीन प्रवृत्तियों का अध्ययन कर नवीन पाठ्यक्रम तैयार करने में नफील्ड संस्थान ने उल्लेखनीय कार्य किया है। इस संस्थान द्वारा हाथ में लिये गये अपने प्रोजेक्ट द्वारा विज्ञान की सभी शाखाओं हेतु जिनमें भौतिक विज्ञान भी सम्मिलित है, ऐसे संलग्न पाठ्यक्रम तैयार किये हैं जिनमें यह ध्यान रखा गया है कि उनके द्वारा ऐसे विद्यार्थियों को जो 16 वर्ष की आयु के अध्ययन के बाद विद्यालय छोड़ देना चाहते हैं, अच्छे नागरिक बनने हेतु भौतिक विज्ञान विषय का उपयुक्त ज्ञान कराया जा सके तथा दूसरी तरफ उन विद्यार्थियों की जरूरतों की पूर्ति हो सकें जो विषय का गहन अध्ययन करना चाहते हैं एवं शोध कार्य में रुचि रखते हैं।
इस संस्थान द्वारा तैयार पाठ्यक्रमों में जिन बातों को प्रमुख रूप से आधार बनाया गया है, वे निम्न हैं-
(i) बालक पर पुराना ज्ञान लादने की बजाय उसमें नवीन ज्ञान के लिए खोज प्रवृत्ति विकसित करना।
(ii) वैज्ञानिक नियम एवं सिद्धान्तों को रटने और बगैर पूर्व प्रशिक्षण के स्वीकार कर लेने की बजाय उचित प्रमाण तथा अनुभवों के आधार पर स्वीकार करना।
(iii) विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने, अपनी शंकाओं का समाधान करने, परीक्षण तथा प्रयोग करने एवं प्रमाणों की उचित छान-बीन और आलोचना करने तथा अपनी अन्वेषणात्मक प्रवृत्ति को क्रियात्मक रूप देने का पर्याप्त प्रशिक्षण प्रदान करना।
नफील्ड, शिक्षा के क्षेत्र में साइन्स भास्टर्स एसोसिएशन एवं वीमेन्स साइन्स टीचर्स एसोसिएशन को आर्थिक सहयोग प्रदान करता है। इस एसोसिएशनों ने अपने कार्यों को चार स्तरों पर विभाजित कर रखा है।
(i) अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्राप्त ज्ञान स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों एवं शासन प्रतिनिधियों को लेकर एक सलाहकार समिति बनाई गयी। इस समिति का कार्य उच्च स्तरीय संबंधों को व्यापना एवं सभी मामलों पर प्रामाणिक अधिकारपूर्ण मत देना था।
(ii) अध्यापक साधन (उपकरण) समिति जिसका काम नये उपयुक्त उपकरणों की सृष्टि करना था।
(iii) शिक्षा मंत्रालय- जो प्रशासनिक कार्यों में मदद करता था।
(iv) एसोसिएशन में से ऐसे सदस्यों की समिति, जो दो अथवा तीन वर्ष पूर्व सेवा निवृत्त हुए हैं। योजना का मुख्य भार इस समिति पर था जिसका कार्य नवीन प्रवृत्तियों का अध्ययन कर नये पाठ्यक्रम की रचना करना था।
इस समिति द्वारा शिक्षा मंत्रालय के सहयोग से भिन्न-भिन्न विद्यालयों से संबंध स्थापित किये गये, जिसके कारण समिति को विद्यालयों में अपनी विचारधारा को प्रयोग करने का अवसर प्राप्त हुआ।
इस पाठ्यक्रम समिति के सामने पाठ्यक्रम संबंधी चार समस्याएँ आयीं- (i) शिक्षकों का सम्प्रेषण (ii) विद्यार्थियों द्वारा शिक्षा प्रणाली की नयी विधि (खोज प्रणाली) का अपनाना (iii) विचारों की व्यावहारिकता एवं (iv) नई विचारधारा का मूल्यांकन। पहली दो कठिनाइयों को क्रमश: शिक्षक संदर्शिका एवं छात्र संदर्शिकाओं के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया गया एवं शेष दो समस्याओं को हल करने हेतु समिति ने अपनी ही सूझ-बूझ का उपयोग किया।
नफील्ड द्वारा प्रस्तावित पाठ्यक्रमों द्वारा कुछ निम्न तरह की विशेषताओं को शामिल किया गया है, जैसे-
(1) समय के साथ बदल रहे संसार में विद्यार्थियों को नवीनतम ज्ञान देने का प्रयत्न किया गया है।
(2) पाठ्यक्रम में सभी तरह के विद्यार्थियों (प्रतिभाशाली, सामान्य, पिछड़े) हेतु उपयुक्त व्यवस्थायें की गयीं।
(3) भौतिक विज्ञान को सीखने हेतु सैद्धान्तिक की बजाय प्रयोग एवं प्रेक्षण अथवा स्वयं करके सीखने जैसी विधियों पर ज्यादा जोर दिया गया है।
(4) पाठ्यक्रम में इस तरह संतुलित विषय-वस्तु का समावेश किया गया है जिससे वह विद्यालय स्तर पर पढ़ाई छोड़ने एवं उच्च अध्ययन तथा शोध कार्य करने वाले विद्यार्थियों के लिये समान रूप से उपयोगी हो।
(5) पाठ्यक्रम में विषय-वस्तु के शिक्षण हेतु सहायक साधनों, जैसे-भौतिक विज्ञान किट, प्रयोगशाला, प्रदर्शक, टेलीविजन आदि द्वारा अध्ययन के प्रयत्न किये गये।